महाभारत लगभग हम सभी ने देखी होगी। बचपन से मैंने भी लगभग 2-3 बार महाभारत देखी है। मनोरंजन के साथ ज्ञान हासिल करने का मौका देने वाले शो वैसे भी टीवी पर कम होते हैं। पता नहीं क्या जादू है महाभारत और रामायण में, जितनी बार देखो कुछ न कुछ नया सीखने मिल ही जाता है। पर महाभारत के एक दृश्य ने मुझे हमेशा विचलित किया इतना कि कभी-कभी रात भर सोचती रहती थीं न जाने क्या बीती होगी द्रौपदी पे जब दुशासन भरी सभा में घसीट के लाया होगा। मन ये सोचकर घबरा उठता था कि अगर भगवान श्री कृष्ण द्रौपदी को निर्वस्त्र होने से नहीं बचाते तो क्या होता? क्या स्वयं भगवान कृष्ण भी खुद को माफ कर पाते? क्या कभी कोई भगवान के होने पे विश्वास कर पाता?
ये कुछ ऐसे प्रश्न
हैं जिनका जवाब शायद कभी
नहीं मिल सकता था।
पर आज जवाब मिल
गया। एक द्रौपदी की
मर्यादा बचाने के लिए महाभारत
का युद्ध हो गया था,
ताकि दुर्योधन और दुशासन जैसे
पापियों का विनाश हो
जाए, और कभी भारत
में कोई और दुर्योधन
और दुशासन न बने। पर
क्या पता था एक
ऐसा दिन भी देखना
पड़ेगा जब भरी सभा
नहीं, भरी सड़कों पे
कई द्रौपदीयों को निर्वस्त्र किया
जाएगा, उनको इतना प्रताड़ित
किया जाएगा कि हर इंसान
जिसमे इंसानियत बची है उसकी
रूह तक कांप जाएगी।
जो हुआ वो लिखने
की हिम्मत मुझमें नहीं है और
अब उस हिम्मत से
वैसे भी क्या हो
जाएगा? हिम्मत शर्मिंदगी नहीं कम कर
पाएगी क्योंकि कृष्ण ने तो द्रौपदी
की इज्जत बचा ली थी
पर अफसोस, मणिपुर की सड़कों पे
जो बेरहमी दिखी उसने मणिपुर
की औरतों के साथ साथ
हमारे देश की इज्जत
भी लूट ली। ना
जाने कितने दुर्योधन और दुशासन सड़कों
पे घूम रहे थे।
और हम यहां बेटी
पढ़ाओ, बेटी बचाओ कर
रहे थे। ये बात
किसी सरकार या पॉलिटिक्स की
नहीं है, ये बात
उस दिशा की है
जहां हम बढ़ रहे
हैं। हमारा समाज आज सिर्फ
दृतराष्ट्र बन कर रह
गया है, काली पट्टी
बाँध ली है हमने
अपनी आँखों पे। अपने मोह
के ऊपर हमें कुछ
नहीं दिखता। कलयुग का तो नहीं
पता पर कालायुग ज़रूर
देख लिया इस घटना
के माध्यम से। बद से
बेहतर होने की जगह
बद से बद्दतर हो
गए हम महिलाओं की
सुरक्षा में। लानत है
उन लड़को पे जिन्होंने एक
मिनट के लिए अपनी
माँ बहन बीवी या
बेटी का नहीं सोचा।
ना जाने किस मुंह
से अपने घर की
महिलाओं को मुंह दिखाएंगे
वो दरिंदे। मेरी
कोशिश होती है लिखते
समय भाषा की मर्यादा
बनाए रखूँ पर इन
हेवानों के लिए भी
अगर मर्यादा का सोचा तो
मैं अपनी ही नज़रों
में गिर जाऊँगी। ऐसे
लोगों को पकड़ो पीटो
और तब तक पीटो
जब तक ये मौत
की भीख न मांगे।
कानून तो हाथ में
नहीं लिया जा सकता
इसलिए अब कानून से
ही उम्मीद है कि अगर
हो सके तो फिर
से महिलाओं का खोया हुआ
विश्वास जीत लो। अगर
हो सके तो ये
बता दे कि अपनी
सुरक्षा के लिए हिफ़ाज़त
के लिए पुलिस के
पास जाना चाहिए या
पुलिस से दूर जाना
चाहिए…
अब अर्जुन और कृष्णा तो
नहीं आएंगे पर कानून को
तो जगना पड़ेगा, वरना
फिर
वही होगा कि कोई
माँ नहीं चाहेगी उसकी
कोख से कोई बेटी
जन्म हो। अब हमें
सोचना पड़ेगा कि हम आगे
बढ़े या पीछे जाएं।
बचपन से महाभारत देख के कुछ जवाब जाना चाहती थी, जवाब तो नहीं मिले पर एक सवाल मन में आ गया है जो परेशान कर रहा है। क्या कभी ऐसे दिन आएंगे जब महिलों को अपनी इज़्ज़त की चिंता न सताए?
“नारी का जब और जिसने अपमान किया है
उसका सर्वनाश निश्चित हो गया है
चाहे रावण को देख लो, चाहे कौरव को देख लो
अपने ज्ञान चक्षु को खोलकर कुछ सीख लो” (Courtesy – Respected Unknown
Writer)
CA Garima Soni
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